Friday, April 18, 2025
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रायगढ़ वन विभाग का कारनामा: जंगल में मजदूरों की जगह जेसीबी से लिया जा रहा काम


सिथरा बीट में सीपीटी गड्ढा खोदाई के लिए फर्जी मस्टररोल भरे जाने की जताई जा रही आशंका
रायगढ़। वन विभाग हमेशा अपनी कार्यप्रणाली को लेकर सुर्खियों में रहता हं। चाहे मामला जंगलों के पेड़ों की अवैध कटाई का हो या फिर वन विभाग के जमीन पर कब्ज़ा करने का मामला। लगातार हाथीयों के मौत से जुड़ा हो या फिर फर्जी मास्टर रोल में भुगतान करने का मामला। ऐसे मामले अक्सर धरमजयगढ़ वन मंडल में ही सामने आते हैं। इससे विभाग में वरिष्ठ अधिकारियों के सामने धरमजयगढ़ विभाग प्रमुख को सफाई देनी पड़ती है। मगर बावजूद इसके वनमण्डलाधिकारी धरमजयगढ़ अपने कर्मचारियों पर कंट्रोल कर पाने में सफल नहीं हो रहे हैं।
वनमण्डलाधिकारी के सुस्त रवैए के कारण वन क्षेत्र में अब नए-नए मामले सामने आ रहे हैं। विभाग से जुड़े मसलों पर वन मंडल अधिकारी से बात करने की कोशिश करने पर वह फोन रिसीव नहीं करते और ना ही एसडीओ। ताजा मामला छाल रेंज के सिथरा बीट का है, जहां सिथरा गांव के पास जंगल में दिन दहाड़े जेसीबी चलाकर ज़मीन की सफाई की जा रही है। इसकी जानकारी मिलने के बाद हमारे द्वारा मौक़े पर जाकर देखा गया तब उक्त स्थल पर एक जेसीबी मशीन नंबर 2885771 ज़मीन की सफाई करते दिखाई पड़ी। जिस वक्त जेसीबी जंगल की सफाई कर रहा था उस वक्त वन विभाग के कोई अधिकारी कर्मचारी दूर-दूर तक दिखाई नहीं पड़े।

आखिर ऐसा कैसे हो सकता है की क्षेत्र में रेंजर, डीप्टी रेंजर और वन रक्षक की तैनाती हो, वहां दिन में ही जेसीबी जंगल में वन विभाग की भूमि पर चलाई जा रही हो और अधिकारीयों को इसकी जानकारी नहीं हो। या फिर ये सभी अधिकारी कर्मचारी बिना अपने कर्तव्य का निर्वाह किए सिर्फ शासन की वेतन का भोग कर रहे। ज़ब जेसीबी के ड्राइवर से आन कैमरा जंगल में जेसीबी चलाने के कारण पूछा गया तब उसने साफ साफ बताया कि सिथरा के वनरक्षक द्वारा उसे ऐसा करने को कहा गया है। यहां वन विभाग के सीपीटी गड्ढा की खुदाई की जा रही है। अगर ड्राइवर का दावा सच भी होता है तब भी यह सोचने वाली बात है कि क्या जिस सीपीटी गड्ढे की खुदाई मजदूरों से करवानी थी, वहां किस नियम से जेसीबी से काम करवाया जा रहा है। अगर जेसीबी से गड्ढे करवाए जाएंगे, तब जेसीबी का भुगतान किस राशि से किया जाएगा। क्या तब मजदूरों का मस्टर रोल भरकर उनकी राशि से जेसीबी के खर्चे दिए जाएंगे या विभागीय अधिकारी कर्मचारी अपनी जेब से पैसे का भुगतान करेंगे। अब देखना यह है कि इस मामले पर सारे सबूत सामने आने के बाद जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों पर क्या कार्यवाही होती है। क्यूंकि आज तक जितने भी मामले पर छोटी-मोटी कार्यवाही देखने को मिली है कोई भी कार्यवाही संतोषजनक नहीं है।

क्या कहते हैं वनरक्षक
इस मामले में सिथरा के वन रक्षक से बात की गई तब उन्होंने बताया कि सीपीटी का ही कार्य चल रहा आज कल लेबर नहीं मिलता है, इसीलिए ऐसा करना पड़ रहा है।
क्या कहते हैं डिप्टी रेंजर
इस मामले में डिप्टी रेंजर को जानकारी दी गई तब उनका भी जवाब वन रक्षक की तरह ही था और कार्यवाही पर कोई रूचि नहीं दिखाई।
प्रभारी रेंजर का रवैया भी उदासीन
जब परिक्षेत्र के प्रभारी रेंजर चंद्र विजय सिदार को इस मामले में जानकारी दी गई तब उन्होंने भी कार्यवाही को लेकर किसी प्रकार की रूचि जाहिर नहीं की।

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