Wednesday, September 3, 2025
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रागी का क्रय आदेश मांगा तो बगलें झांकने लगे अधिकारी

कृषि विभाग में बिना सरकार के अनुमोदन के डायरेक्ट खरीदा रागी, समर्थन मूल्य से ज्यादा दर पर हुई है खरीदी

रायगढ़ । कृषि विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग ने सीएसआर की राशि में भी गड़बड़ी कर दी। दोनों विभागों ने रागी के लड्डू खिलाने की योजना बनाई। इसके लिए बिना अनुमोदन के एमएसपी से अधिक दर पर रागी खरीदी गई। कृषि विभाग किसानों को भुगतान करने के लिए राशि मांगी तो महिला एवं बाल विकास विभाग ने क्रय आदेश मांगा है। अब कोई क्रय आदेश है ही नहीं।डीएमएफ की तरह ही सीएसआर में भी सेंधमारी की गई। वर्ष 2020-21 में सीएसआर मद से 95 लाख रुपए स्वीकृत किए गए थे ताकि तमनार, घरघोड़ा, खरसिया, लैलूंगा और धरमजयगढ़ के सात परियोजनाओं में 3 ये छह वर्ष के सभी बच्चों, गर्भवती और शिशुवती माताओं को सप्ताह में दो दिन रागी लड्डू दिए जाएं। आंगनबाड़ी केंद्रों में इसका वितरण होना था। एक लड्डू का वजह 20 ग्राम तय किया गया था। इसके बाद सीएसआर से ही वर्ष 21-22 में दोबारा से सात ब्लॉकों की दस परियोजनाओं में छह माह से 5 वर्ष तक के सभी कुपोषित बच्चों और गर्भवती माताओं को सप्ताह में तीन दिन रागी लड्डू प्रदान करने राशि मंजूर की गई। इस बार महिला एवं बाल विकास विभाग को 69.92 लाख रुपए दिए गए थे। दो बार मिलाकर 1,64,92,000 रुपए महिला एवं बाल विकास विभाग को मिले।रागी खरीदने के लिए कृषि विभाग को कहा गया। विभाग ने किसानों से डायरेक्ट खरीदी कर ली, वह भी 4500 रुपए प्रति क्विंटल क दर से। 2020-21 में रागी का न्यूनतम समर्थन मूल्य 3295 रुपए था जो 2021-22 में 3377 रुपए प्रति क्विंटल हो गया। रागी खरीदी के लिए प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। अब कृषि विभाग ने किसानों को भुगतान करने के लिए फंड मांगा है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने रागी का क्रय आदेश व अन्य दस्तावेज मांगे हैं। लेकिन क्रय आदेश है ही नहीं क्योंकि एमएसपी से ज्यादा दर पर रागी खरीदना नियम विरुद्ध है।करीब तीन करोड़ का है घपलारागी के लड्डू खिलाने की आड़ में कई अफसरों ने अपनी जेबें गरम की हैं। पहली गड़बड़ी एमएसपी से ज्यादा दरों पर रागी खरीदी का है। दो सालों के अलावा भी रागी खरीदी की गई है। इसमें भी भुगतान बाकी है कहा जा रहा है। लड्डू बनाकर सप्लाई करने वाली रायगढ़ की अनुभव महिला स्व सहायता समूह के 22 लाख रुपए मांग रही है। इधर 14 किसानों के करीब 52 क्विंटल रागी का भुगतान भी नहीं हुआ है। यह पूरा मामला करीब तीन करोड़ का है

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