बांजीनपाली निवासी व्यक्ति ने संस्कार स्कूल के सामने बोन्दाटिकरा में करीब 40 लोगों को बेची शासकीय भूमि, अभी भी बिक्री और अतिक्रमण का काम जारी
रायगढ़। अगर किसी को हाईवे के पास सस्ती जमीन चाहिए तो वह बोंदाटिकरा में खरीद सकता है। यहां दो डिसमिल जमीन आपको महज 45 हजार में मिल जाएगी। बांजीनपाली के एक व्यक्ति से मिलकर नकद में पेमेंट करनी होगी। कोई रिस्क नहीं है क्योंकि यह सरकारी जमीन है। 40 से ज्यादा लोग अब तक जमीन खरीदकर एक-दो कमरे बना चुके हैं। यहां 2047 के रायगढ़ की कल्पना हो रही है और दूसरी ओर भूमाफिया इस सपने को पलीता लगा रहे हैं। आने वाले समय में रायगढ़ शहर चारों ओर से स्लम बस्तियों से घिरा नजर आएगा।ऐसी बस्तियां जहां न रोड होगी, न नाली होगी। शहर के हर कोने में बसने वाली ऐसी बस्तियों की संख्या बढ़ती जा रही है क्योंकि लोकल दलाल इसे बसा रहे हैं। किसी को भी आसानी से हाईवे किनारे जमीन मिल सकती है। कहीं कोई दिक्कत नहीं है। इसकी पड़ताल करने हम बोंदाटिकरा संस्कार स्कूल के आगे पुल के पास पहुंचे। यहां दोनों ओर नई-नई झोपडिय़ों व मकानों का निर्माण हुआ है। कुछ ने बाड़ लगाकर जमीन घेर ली है। एक आदमी यहां दो डिसमिल जमीन को घेरकर दीवार के लिए खुदाई कर रहा था।यहां करीब 40 लोगों ने जमीन पर कब्जा कर लिया है। यह पूरी जमीन सरकारी है। पूछने पर पता चला कि बांजीनपाली निवासी तुलसी चौहान ने जमीन उनको बेची है। दो डिसमिल जमीन के बदले 40-45 हजार रुपए लिए हैं। पुल क्रॉस करते ही दोनों ओर ऐसे अवैध कब्जे हैं। जिसको जहां ठीक लगा, गड्ढा खोदकर दीवार उठा ली। किसी ने एक कमरा बनाया तो किसी ने दो कमरे। अभी भी कई लोगों का निर्माण जारी है। यह इलाका गढ़उमरिया पटवारी हलके में आता है, जो पुसौर तहसील के अंतर्गत है। न तो पटवारी ने इसकी जानकारी तहसीलदार को दी और न ही एसडीएम को। कब्जे को हटाने के लिए कोई प्रयास ही नहीं किए गए।आसपास की जमीनें खुद बेच रहे लोगजिसने भी सरकारी जमीन कब्जा करके बड़ा मकान बना लिया, वह अपने पास की जमीन को खुद बेचने लगता है। बोंदाटिकरा में आंगनबाड़ी केंद्र के सामने भी नए मकान का निर्माण हो रहा है। पूछने पर पता चला कि सरकारी जमीन है, जिस पर कई लोगों ने कब्जा करके मकान बना लिए हैं। वहीं के एक व्यक्ति ने जमीन बेची है। केलो नदी किनारे से बने मकान भी अतिक्रमित भूमि पर बने हैं।एक जगह कब्जा किया, अब दूसरी जगह कब्जाईयहां ज्यादातर लोग ऐसे हैैं जो पहले किसी दूसरी बस्ती में अतिक्रमण करके रहते थे। यहां ठीक लगा तो अब यहां भी जमीन कब्जा ली। दो जगहों पर उनकी जमीन हो गई। तकरीबन सभी बीपीएल परिवार से हैं लेकिन इनको शिफ्ट करने के लिए शासन के पास कोई योजना ही नहीं है। मजे की बात यह है कि इनको बिजली का कनेक्शन भी मिल जाता है। हाईवे किनारे होने के कारण यह जमीन बेशकीमती है। बहुत आसानी से यहां जमीन मिल रही है।नाला किनारे भी अवैध निर्माणयहां एक नाला बहता है। नाले और सडक़ के बीच में सरकारी जमीन है। इस पर भी लगातर कब्जे होते जा रहे हैं। पहले से कब्जा किए हुए लोगों ने रोड के ऊपर तक निर्माण कर लिए हैं। नाला के किनारे तक मकानों को बढ़ाया जा रहा है। दोनों ओर ऐसे अतिक्रमण देखे जा सकते हैं। इस बस्ती का फैलाव बढ़ता जा रहा है। सब कुछ मालूम होते हुए भी इसे रोका तक नहीं जा रहा है बल्कि और कब्जे बढ़ते जा रहे हैं।विभागीय तंत्र की नाकामीभविष्य का रायगढ़ बनाने के लिए जरूरी है कि कहीं कोई स्लम बस्ती न हो। सभी को पीएम आवासों में शिफ्ट किया जाए। सरकारी जमीनों को बचाकर संरक्षण किया जाए। एक-एक कर स्लम बस्तियों को चिह्नित शिफ्टिंग की जाए। राजनीतिक दबाव के आगे नतमस्तक राजस्व विभाग ऐसा कर पाने में नाकाम है। सरकारी जमीनें बेचने वाले दलाल भी किसी न किसी नेता के चमचे होंगे। कुल मिलाकर राजस्व विभाग अब कार्रवाई करने में सक्षम नहीं रहा।क्या कहते हैं प्रवीणसरकारी जमीन पर अवैधानिक निर्माण पर कार्रवाई जरूर होगी। विस्तृत रिपोर्ट मंगवाएंगे।– प्रवीण तिवारी, एसडीएम, रायगढ़